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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बुनकर बया सीख सिखलाती।
स्वच्छ रखें घर पाठ पढ़ाती।।
तिनका - तिनका जोड़ बनाए।
लिए स्वच्छता नीड़ सजाए।।
यही सत्य सबको बतलाती।
बुनकर बया सीख सिखलाती।।
यद्यपि छोटा गेह बनाएँ।
मिलजुल कर दंपती सजाएँ।।
प्रेम भाव जीवन में लाती।
बुनकर बया सीख सिखलाती।।
होता है जब सघन अँधेरा।
पड़े जरूरत करे उजेरा।।
जुगनू से उजास कर पाती।
बुनकर बया सीख सिखलाती।।
दुश्मन से परिजन की रक्षा।
बया सिखाती है वह शिक्षा।।
काँटों के समीप बस जाती।
बुनकर बया सीख सिखलाती।।
आओ हम भी गेह सजाएँ।
बया विहग से कुछ तो पाएँ।।
नहीं किसी को कभी सताती।
बुनकर बया सीख सिखलाती।।
शुभमस्तु !
26.06.2025●3.30 प०मा०
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