317/ 2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बूँद - बूँद की एक कहानी।
कड़वी है पर पड़े बतानी।।
भ्रष्ट आचरण जो कहलाया।
रग - रग में मानव की छाया।।
कौन नहीं नर - नारी कानी।
बूँद - बूँद की एक कहानी।।
बाबू या अधिकारी नेता।
कौन नहीं है रिश्वत लेता।।
लिखी हुई है सुनो जुबानी।
बूँद -बूँद की एक कहानी।।
करे मिलावट मूँछ उठाए।
बिना न इसके काम चलाए।।
ऊपर की इनकम है लानी।
बूँद - बूँद की एक कहानी।।
जिसे न अवसर मिलता कोई।
श्वेत वही बस चादर धोई।।
बिना न इसके बचती नानी।
बूँद - बूँद की एक कहानी।।
आओ स्वच्छ देश को करना।
नहीं भ्रष्टता के रँग भरना।।
काटें वही मूँछ जो तानी।
बूँद - बूँद की एक कहानी।।
शुभमस्तु !
30.06.2025●5.15आ०मा०
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