रविवार, 1 जून 2025

हनन किया दुर छाग [सजल]

 230/2025

           

समांत        :*आग*

पदांत         :अपदांत

मात्राभार     :24.

मात्रा पतन   : शून्य


*©शब्दकार*

*डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'*


नर-नारी  वे  धन्य   हैं, जिएं सहित अनुराग।

आन  मान  सम्मान का,जागे नवल सुहाग।।


जीवन वह जीवन नहीं,बजे फटा ज्यों ढोल।

काँव-काँव   करता  रहे, भरे काँव से   बाग।।


मिले   पड़ौसी  ठीक  तो,सोए  चादर   तान।

बुरा  पड़ौसी   यदि   मिले,रहे लगाता  आग।।


झूठे     धोखेबाज   की,   संगति   है दुर्भाग्य।

भोला    बने   कपोत-सा, करनी में हैं दाग ।।


भारत - पाकिस्तान  का, होगा कभी  न  मेल।

धोखे   में    रहना  नहीं, रहो सदा ही   जाग।।


उचित  रहा  प्रतिशोध  ये,  शल्यकर्म  सिंदूर।

धुआँ-धुँआ अब पाक है,फुफकारा जो नाग।।


युगल व्योमिका सोफिया,करती रहीं कमाल।

'शुभम्' विश्व  में देश ने, हनन किया दुर  छाग।।


शुभमस्तु !


12.05.2025●6.15 आ०मा०

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