230/2025
समांत :*आग*
पदांत :अपदांत
मात्राभार :24.
मात्रा पतन : शून्य
*©शब्दकार*
*डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'*
नर-नारी वे धन्य हैं, जिएं सहित अनुराग।
आन मान सम्मान का,जागे नवल सुहाग।।
जीवन वह जीवन नहीं,बजे फटा ज्यों ढोल।
काँव-काँव करता रहे, भरे काँव से बाग।।
मिले पड़ौसी ठीक तो,सोए चादर तान।
बुरा पड़ौसी यदि मिले,रहे लगाता आग।।
झूठे धोखेबाज की, संगति है दुर्भाग्य।
भोला बने कपोत-सा, करनी में हैं दाग ।।
भारत - पाकिस्तान का, होगा कभी न मेल।
धोखे में रहना नहीं, रहो सदा ही जाग।।
उचित रहा प्रतिशोध ये, शल्यकर्म सिंदूर।
धुआँ-धुँआ अब पाक है,फुफकारा जो नाग।।
युगल व्योमिका सोफिया,करती रहीं कमाल।
'शुभम्' विश्व में देश ने, हनन किया दुर छाग।।
शुभमस्तु !
12.05.2025●6.15 आ०मा०
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