रविवार, 29 जून 2025

पानी से ही प्राण हमारे [ बालगीत ]


297  /2025

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्


पानी    से       हैं     प्राण    हमारे।

पानी  से   हम     जीवन       धारे।।


पानी      हमें      बचाना     अपना।

जीवन है   पानी    बिन     सपना।।

मिले     नहीं      तो     दीखें    तारे।

पानी     से     हैं      प्राण    हमारे।।


सत्तर      प्रतिशत     पानी   होता।

मानव  तन  में   जल   का   सोता।।

सकल  जगत    में  सलिल घना रे।

पानी  से    ही      प्राण     हमारे।।


जितना  हो  जल   मनुज    बचाए।

कम   से   कम   में   काम चलाए।।

तभी     रहेगा    मनुज     बचा  रे।

पानी     से     ही   प्राण     हमारे।।


 प्यासे  जन   की   प्यास   बुझाएँ।

पशु -  पक्षी   को  खूब    पिलाएँ।।

जीव      बचाएँ      प्राण    उबारें। 

पानी  से  ही     प्राण       हमारे।।


पानी    बिना   मछलियाँ   मरतीं।

जीवन धारण   जल   से  करतीं।।

पानी  है      अनमोल      दवा   रे।

पानी  से    ही     प्राण      हमारे।।


शुभमस्तु ! 


28062025●10.00आ०मा०

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[1:26 pm, 28/6/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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