291/ 2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
पानी को यों व्यर्थ न करना।
पड़े जरूरत उतना भरना।।
सूखे कूप न नल में पानी।
इनकी बीती हुई कहानी।।
बचे हुए सर सरिता झरना।
पानी को यों व्यर्थ न करना।।
पीते कम फैलाते ज्यादा।
लगता अच्छा नहीं इरादा।।
पानी बिना न जीवन तरना।
पानी को यों व्यर्थ न करना।।
सब मर्सीबिल चला रहे हैं।
बेमतलब जल बहा रहे हैं।।
भैंस लोरतीं खुला विचरना।
पानी को यों व्यर्थ न करना।।
बोतल में पीते हो पानी।
भूल गए क्या बात पुरानी।।
पानी बिना न जीवन हरना।
पानी को यों व्यर्थ न करना।।
बूँद - बूँद की कीमत होती।
मानव जाति बिना जल रोती।।
भावी से क्या तुम्हें न डरना ??
पानी को यों व्यर्थ न करना।।
शुभमस्तु !
27.06.2025●11.30आ०मा०
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[1:54 pm, 27/6/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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