मंगलवार, 24 जून 2025

पति -पत्नी का नाता [ गीत ]

 273  /  2025


         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'



हेलमेल 

परिपूर्ण प्रणय का

पति-पत्नी का नाता।


पति -पत्नी का

संगम होता

बनती सृष्टि नवीन

प्रेम बना रहता

आजीवन

पल को नहीं मलीन

आँगन में

 संतति की क्रीड़ा

खेल अनौखा भाता।


करते चुहल

युगल आजीवन

युवा प्रौढ़ या वृद्ध

होते बाल

सफेद शीश के

वे अनुभव समृद्ध

रूठ अगर

जाए जो पत्नी

पति भोजन कब खाता।


गाड़ी के दो 

पहिए दोनों

चली न जाए राह

दो तन

एक आत्मा  दोनों

एक युगल की चाह

खलता 'शुभम्' 

अभाव परस्पर

कब एकल रह पाता।


शुभमस्तु !


24.06.2025●12.45 आ०मा०(रात्रि)

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