487/ 2025
© शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्
कुत्ते को
कुत्ता मत कहना
दंडनीय है।
कुत्ते को
अधिकार
उसे भी जग में जीना
द्वार-द्वार पर
टुकड़े खाना
विष भी पीना
कुकुर देव
भी पूज्य आज भी
वंदनीय है।
खुलेआम
जो खेले तो वह
भी स्वतंत्र है
मिला श्वान को
ब्रह्मा जी से
एक मन्त्र है
कुछ भी
उसके लिए
नहीं अब गोपनीय है।
भैरव का
वाहन है कूकर
ये विधान है
गली मोहल्लों
में फिरता
ये श्वान -शान है
क्या कर
लोगे आप
सभी कुछ ईश्वरीय है।
लगती
तुमको शर्म
उसे कपड़े पहनाओ
लगती
तुमको नहीं
बैठ जब सँग -सँग खाओ
तन से
अपने उठा
उढ़ाओ उत्तरीय है।
शुभमस्तु !
01.09.2025● 2.30प०मा०
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