सोमवार, 8 सितंबर 2025

बातें उपसंहार करें! [ नवगीत ]

 540/2025


       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


चलें आदमी

और श्वान की

बातें उपसंहार करें।


 धर्म- कर्म की

योनि श्वान की

और मनुज का जीवन भी

भोग भोगता

मात्र श्वान ही

कर्म योग की सीवन भी

कभी आदमी

श्वान बनेगा

जैसा हो आचार धरें।


उचित नहीं है

कभी हेयता

मानव हो या कुत्ता हो

आए द्वार 

 तुम्हारे कोई

पशु चिड़िया अलबत्ता हो

प्रेम बाँटकर

प्रेम मिलेगा

प्रेम-सुमन उपहार भरें।


इनी  - गिनी 

श्वासें पाई हैं

उनको नहीं गँवाना है

तू कुत्ता 

तू कुत्ता कहकर

विप्लव नहीं बढ़ाना है

'शुभम्' शांति 

संतोष  देश में

शुभता का संचार करें।


शुभमस्तु !


07.09.2025●8.30प०मा०

                 ∆∆∆∆∆

               इति शुभम्

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