520/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गाय न गाली भैंस न गाली
केवल कुत्ता गाली क्यों?
दूध पिलाते
यदि मानव को
देता नहीं कभी गाली
अपना जो
सीधा कर पाता
उल्लू ,मिले भरी थाली
करता है
वह अश्व सवारी
कुत्ते की है गाली यों।
एक मिला गुण
मात्र वफ़ा का
जो आदम के पास नहीं
अगर वफ़ा मिलती
मानव में
न हो श्वान की पूँछ कहीं
सधे काम जब
अपने सारे
मिले श्वान को नाली क्यों?
बनीं कहावत
मुहावरे भी
सब में एक यही कुत्ता
भाव नहीं है
उत्तम कोई
उसमें भी कुत्ता सुत्ता
बेचारी है
कुतिया अपनी
कुत्ते की घरवाली यों।
शुभमस्तु !
06.09.2025●10.30 आ०मा०
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