शनिवार, 6 सितंबर 2025

क्यों कुत्तों की तरह लड़ो तुम? [ नवगीत ]

 517/2025


 


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


क्यों कुत्तों की तरह

लड़ो तुम?


मानव हो तो

मानव ही रह

मानवता का पाठ पढ़ाओ

भौंक -भौंक कर

क्या जतलाओ

अपना ही क्यों खून सुखाओ

थोड़ी-सी विनम्रता लाओ

मुँहजोरी कर नहीं

भिड़ो तुम।


बातचीत से

हल कर मसले

कुत्तावाद नहीं फैलाओ

अपनी भी

ग्रीवा में झाँको

अपनी कीमत नहीं गिराओ

पैर फिसलकर गिर जाओगे

इतने ऊपर नहीं

चढ़ो तुम।


कुत्तों की 

संगत में रहकर

कुत्तागीरी तुमको आई

नहीं नियम 

कानून जानते

लड़ते सारे लोग -लुगाई

संस्कार भूले मानव के

जिद मत ठानो नहीं

अड़ो तुम।


शुभमस्तु !


06.09.2025●7.15 आ०मा०

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