527/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
नहीं किसी की सुनता कुत्ता।
अपनी -अपनी भौंक रहा है
आगे बढ़ -बढ़ झोंक रहा है
फर्क न पड़े भले अलबत्ता।
सुनता है पर नहीं सुनेगा
अपना सूत -कपास बुनेगा
बतलाता है सबको धत्ता।
मान लिया यों क्यों मानेगा
जानबूझ कर क्यों जानेगा
वर्दी के आगे सब लत्ता।
शुभमस्तु !
07.09.2025●6.00आ०मा०
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