रविवार, 7 सितंबर 2025

नहीं किसी की सुनता कुत्ता [ नवगीत ]

 527/2025


  


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नहीं किसी की सुनता कुत्ता।


अपनी -अपनी भौंक रहा है

आगे बढ़ -बढ़ झोंक रहा है

फर्क न पड़े भले अलबत्ता।


सुनता है   पर  नहीं सुनेगा

अपना सूत -कपास बुनेगा

बतलाता है  सबको  धत्ता।


मान लिया यों क्यों मानेगा

जानबूझ कर क्यों जानेगा

वर्दी के   आगे   सब लत्ता।


शुभमस्तु !


07.09.2025●6.00आ०मा०

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