रविवार, 7 सितंबर 2025

अलग अमीरी के प्रतिमान [ नवगीत ]


528/2025


      


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


अलग -अलग रुचि

अलग पसंदें

अलग अमीरी के प्रतिमान।


कोई पाले मुर्गा  -  मुर्गी

कोई श्वानों का शौकीन

कुत्तों के घर जो पल जाए

उसको कहते  प्रथा नवीन

किसने रोका-टोका किसको

पूर्ण करें   अपने   अरमान।


कुत्ता उन्हें  घुमाता  बाहर

कभी   पार्क  में  लान  में

कभी सड़क पर खींच रहा है

किरकिट के मैदान में

साथ एक थैली लटकाए

सुने विसर्जन का फरमान।


कुत्ते का अनुगामी मानव

कुत्तागीरी  सीख   गया

अतिथि देव पर ध्यान नहीं है

पपी श्वान पर  रीझ गया

सेवित कुत्ता सेवी मानव

कभी देखना देकर ध्यान।


शुभमस्तु !


07.09.2025 ● 7.15 आ०मा०

                    ●●●

[8:14 am, 7/9/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...