514/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
धर्म नहीं अनुमति देता
घर कुत्ता पालें।
कीचड़ बदबूदार
सभी में वह रह लेगा
मिले मानवी प्यार
उसे भी खूब सहेगा
छोड़े आदत नहीं किंतु
मत उसे बसा लें।
बाल - लार से प्यार
भला क्या कोई करता
कुत्ते के विष-दंत
सभी से मानव डरता
किसने कहा स्वार्थ में
अपने साथ सुला लें?
कभी वास्तु ने श्वान
नहीं स्वीकार किया है
जीवन शैली अलग
उसी में श्वान जिया है
कितना श्वान बनेगा इंसां
घर स्वयं सँभालें।
शुभमस्तु !
06.09.2025● 5.00आ०मा०
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