शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

कुत्तावाद मदरसे में [ नवगीत ]

 509/2025


     ©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


शिक्षक हो तो

पढ़ो -पढ़ाओ

कुत्तावाद मदरसे में।


मानव प्रेरणास्रोत हमारा

देता वही ज्ञान की धारा

कहता सब कुत्ते हो तुम तो

वोटों पर मर जाते हो,

इसीलिए टुकड़े हम खाते

साबुत रोटी कभी न पाते

दर-दर सटक भटकते हैं हम

क्यों ऐसा सिखलाते हो,

प्यारे शिक्षक

ज्ञान कराओ

जुत्तावाद मदरसे में।


संसद में कुछ हुआ इज़ाफ़ा

नेता  ने    नेता   को   नापा

भौंक रहे हैं सभी परस्पर

सभी हमीं से सीखा है,

जो जितना भी  झूठ बोलता

देश और     परदेश   डोलता

जनता का धन उड़ा देह पर

सबको लगा पलीता है,

विद्यालय में 

नवाचार हो

उकता नाद मदरसे में।


हम जागें तो तुम भी जागो

कभी देश से हटो न भागो

नहीं पालतू बनो किसी के

नहीं ट्रम्प की मानें एक,

नीति हमारी   करें विसर्जन

एक नियम से जो है  वर्जन

नहीं बेचना देश किसी को

बनें श्वानवत सीधे नेक,

एक कोर्स 

हर विद्यालय में

समतावाद मदरसे में।


शुभमस्तु !


05.09.2025●3.00प०मा०

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