सोमवार, 8 सितंबर 2025

स्यात् लिखा लाया कुत्ता [ नवगीत ]

 537/2025


       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गाली  और भर्त्सना पाना

स्यात्  लिखा कुत्ता लाया।


कोई  कहे कुचेला तुमको

कोई  भाषक   कुत्ता श्वान

कुत्सित से ही कुत्सा आया

जो कुत्ता  अपभ्रंश  समान

दर-दर  पर  दुत्कारा सबने

इसीलिए  कुत्ता कहलाया।


ठोकर   खाईं    दर्द  सहे हैं

काँइं -काँइं    कर   रोया  तू

कभी उठाकर एक  टाँग को

करता    है    उटंग    सू -सू

मानव को   तेरा स्वभाव ये

किंचित   नहीं   हृदय भाया।


आज आदमी सीख  तुम्हीं से

निकल   गया    तुमसे   आगे

तू तो  मिला  आज  मानुस में

तेरे      भाग्य      उगे     जागे

गोद खिलाया गया   श्वान  तू

उनका  मन    भी    बहलाया।


शुभमस्तु !


07.09.2025● 5.30 प०मा०

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