सोमवार, 8 सितंबर 2025

कुत्ता और आदमी दोनों [ नवगीत ]

 539/2025


     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


परिपूरक बन गए परस्पर 

कुत्ता और आदमी दोनों।


लेना-देना कभी ज्ञान का

बुरा न होता 

अच्छा ही है

 सीख रहा है मानव जो भी

जितना सीखे

बच्चा ही है

ट्रेनर बने परस्पर उत्तम

कुत्ता और आदमी दोनों।


छत के नीचे उनका रहना

करना  भोजन 

और शयन भी

करते सँग-सँग 

वे मन-रंजन

मिले अधर से युगल अधर भी

प्यार और तकरार

करें सँग

कुत्ता और आदमी दोनों।


सहजीवन के 

विविध रंग हैं 

मुझको नहीं बताना आता

हो जाए

भदेश यदि कथनी

नहीं इसी से मैं समझाता

रहने दो कुछ 

गोपनीय भी

कुत्ता और आदमी दोनों ।


शुभमस्तु !


07.09.2025●7.15प०मा०

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