रविवार, 7 सितंबर 2025

अब श्वान से पहचान है! [ नवगीत ]

 524/2025


    


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


आदमी के देश में

अब श्वान से पहचान है।


कौन गुप्ता जी वही जो

पालते झबरा बड़ा

कौन शर्मा जी वही जो

श्वान जिनका है छड़ा

आज ऊँचे दामधारी

श्वान से ही मान है।


श्याम का कुत्ता

बड़ा ही बेढबी है

और कन्तो का

घणा-सा ऊधमी है

लाड़ली की श्वान में

बसती अहर्निश जान है।


आज कुत्ता यदि नहीं तो

क्या अमीरी ठाठ हैं

क्या गरीबों के लिए

कुत्ते बने  घर घाट हैं

बीबियों  की  चूमती

बस श्वान की ही बान है।


शुभमस्तु !


07.09.2025● 5.00आ०मा०

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