रविवार, 7 सितंबर 2025

शुभाशीष माँ का सिर नाऊँ [ नवगीत ]

 533/2025



   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


शुभाशीष 

माँ का  सिर नाऊँ।


श्वान-पुराण लिखूँ

हे माते

ज्ञानदायिनी का वर पाऊँ

शब्द भाव के

सुमन खिलें नव

नवगीतों में व्यंग्य सजाऊँ

बूढ़े -बूढ़े

देख- देख कर

मुँह बिचकाते क्या जतलाऊँ।


आज श्वान पर

चर्चा भारी

भारत भू में

धनिक देश के

श्वान सखा के

मुख पद चूमें

पीढ़ी नई

किधर जाती

अब क्या बतलाऊँ।


बदल रहा है

अपना भारत

कौन रोकता

गलत करे

करनी कोई 

तो नहीं टोकता

बात बढ़ाकर

अब आगे की

क्यों उलझाऊँ!


प्रेरक मेरी

मातु शारदे

वरदानी हो

नए ग्रंथ को

पकड़ लेखनी

उर आनी हो

श्वान-पुराण

पढ़ें  नर-नारी

उन्हें रिझाऊँ।


माता के हित

नया एक भी

विषय नहीं है

दे देती हो

'शुभम्' भक्त को

उचित सही है

शत-शत नमन

वंदना माते 

नत -नत जाऊँ।


शुभमस्तु !


07.09.2025● 10.45आ०मा०

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