532/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
ट्रेनर श्वान
सभ्यता का नव
पढ़ा रहे हैं पाठ।
धनिकों ने
देकर हर सुविधा
उनको दिया निवास
स्वाद भरा भोजन
नहान भी
शयन सेज विश्वास
अब ट्रेनर जी
मौज मजे में
किए जा रहे ठाठ।
ललनाएँ
सेवा में तत्पर
इच्छा ही आदेश
नहीं पड़े
श्वानों को देना
कोई भी निर्देश
रूढ़िवाद
रो रहा बिचारा
मार गया है काठ।
अंतरंग सम्बंध
सीखते
जो न जानते लोग
संयम का भी
पाठ पढ़ाते
करा-करा के योग
यौवन आया
ठूँठ -ठूँठ में
उम्र हो गई साठ।
शुभमस्तु !
07.09.2025●10.00आ०मा०
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