शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

कुत्ता ही रहने दो [ नवगीत ]

 506/2025


         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कुत्ते को 

कुत्ता ही रहने दो।


सिर पर नहीं 

बिठाओ कुत्ता

खुद को नहीं

बनाओ कुत्ता

उसकी सीमा

गलियों तक है

गलियों में रहने दो।


जब तक 

कुत्ता है अनुगामी

तब तक

होगा नहीं हरामी

मालिक बना 

दिया जब कुत्ता

सहना सहने दो।


दूध नहीं

अपने बच्चों को

दूध मलीदा

इन कुत्तों को

मिटता है घर

तेरा बंदे

क्या यों ही मिटने दो!


शुभमस्तु !


05.09.2025●8.15 आ०मा०

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