549/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सभी एक दिन बूढ़े होंगे।
गात सचिक्कण रूढ़े होंगे।।
जिसे देख शरमाए बाला,
मुखड़े वे सब कूड़े होंगे।
चार दिनों की मात्र चाँदनी,
चाँद खुरखुरे चूड़े होंगे।
मत इठला सोफे की कुर्सी,
सजे गुदगुदे मूढ़े होंगे।
तितली एक नहीं आएगी,
उजड़े चमन बगूड़े होंगे।
दिन बीतेंगे रस लेने के,
जादू सभी जमूड़े होंगे।
'शुभम्' केश जो चिकुर कहाएँ,
धवल बर्फ-से जूड़े होंगे।।
शुभमस्तु !
10.09.2025●2.00प०मा०
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