538/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
रंग -बिरंगे
रँग जीवन के
कुत्ता या कि आदमी कोई।
कुत्ता गया
आदमी के सँग
उधर मनुज को डाबरमैन
मिलीं परस्पर
आदत उनकी
मिला मनुज-कुत्ते को चैन
एक- एक मिल
ग्यारह बनते
जाग गईं जो किस्मत सोई।
सीख रहे हैं
दोनों मिलकर
नई-नई अधुनातन आदत
हाथ मिलाते
युगल परस्पर
करते आपस में वे स्वागत
नई पौध
हरिआई देखो
जब कुत्ते ने कार भिगोई।
संस्कार का
लेना -देना
कुछ तो नया रंग लाया
नहीं जानता था
जो करना
सभी श्वान ने सिखलाया
चादर ओढ़
सो रहा मालिक
उधर श्वान ने ओढ़ी लोई।
शुभमस्तु !
07.09.2025● 63.0प०मा०
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