रविवार, 7 सितंबर 2025

श्वान तुम्हारा शुभ अभिनंदन [ नवगीत ]

 534/2025



   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


श्वान तुम्हारा

शुभ अभिनंदन।


स्वागत नमन

और वंदन है

श्वान तुम्हारा

अपने बारे में

बतलाओ

 'शुभम्' बिचारा

हाथ जोड़कर

लगा रहा 

माथे पर चंदन।


माँ का

शुभ आदेश

तुम्हारे लिए हुआ है

लिख दूँ

श्वान -पुराण 

 मधुर ये काव्य-पुआ है

जितने आते 

शब्द भाव

उनका ही स्यंदन।


भैरव -वाहन

श्वान साथ दो

पूरा मेरा

रहे न उर में

लेश मात्र भी 

कलुष अँधेरा

हो प्रसन्न 

नतशिर बालक मैं

शत-शत वंदन।


शुभमस्तु


07.09.2025●11.15 आ०मा०

                    ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...