508/ 2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
चर्चा में
हम कुत्ते क्यों ?
धरती पर
रहते हैं कितने
ढोर पखेरू मेढक मच्छर,
मछली गायें भैंस बकरियाँ
अंबर में कुछ
उड़ते फर - फर
लगता साथ न
तुमको भाता
समझा हमको जुत्ते क्यों ?
भौंक हमारी
नहीं सुहाई
ऐसा लगता मानव को
जहर भरा है
दाँतों में तो
समझा कूकर दानव हो
गली- गली
दरवाजों पर जा
जीते अपने बुत्ते यों।
वाद अदालत में
जा पहुँचा
जज का ग़लत फैसला है
क्या हमको
अधिकार नहीं है
दुनिया मात्र घोसला है?
जिसमें तुम्हें
अकेले रहना
भाता है अलबत्ते यों?
शुभमस्तु !
05.09.2025●9.45आ०मा०
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