530/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कुत्ता - विरुद
बहार रहेगी।
यदि अमीर जनता हो जाए
घर- घर में कुत्ता पल पाए
नई प्रथा की ब्यार बहेगी।
मध्यम वर्ग न पाले कुत्ता
बना खा रहा कूकरमुत्ता
उसे न दुनिया जीने देगी।
यदि कवि कुत्ता-छंद बनाए
रातों-रात ख्याति पा जाए
दुनिया कुछ भी नहीं कहेगी।
शुभमस्तु !
07.09.2025 ●8.45 आ०मा०
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