रविवार, 7 सितंबर 2025

कुत्ता- विरुद बहार रहेगी [ नवगीत ]

 530/2025


      


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कुत्ता - विरुद 

बहार रहेगी।


यदि अमीर जनता हो जाए

घर- घर में कुत्ता  पल पाए

नई प्रथा की ब्यार   बहेगी।


मध्यम वर्ग न पाले कुत्ता

बना खा रहा कूकरमुत्ता

उसे न दुनिया जीने देगी।


यदि कवि  कुत्ता-छंद बनाए

रातों-रात   ख्याति  पा जाए

दुनिया कुछ भी नहीं कहेगी।


शुभमस्तु !


07.09.2025 ●8.45 आ०मा०

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