रविवार, 7 सितंबर 2025

करे कुत्ताई अगर ये आदमी! [ नवगीत ]


529/2025


  


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


करे कुत्ताई 

अगर ये आदमी।


ठौर कुत्तों को 

मिलेगा किस जगह

क्यों उतारू आदमी

यों बे वज़ह

दायरे को लाँघ बाहर

जा रहा क्यों आदमी।


दया करना है अगर

सब पर करो

मांस के आहार से

तन को भरो

श्वानता का 

धर्म  पाले आदमी।


जीव हिंसा में 

नहीं कोई कमी

स्वाद के कारण

नहीं दृग में नमी

क्या बचा जो 

भी न खा ले आदमी।


शुभमस्तु !


07.09.2025●8 .15 आ०मा०

                    ●●●

[8:57 am, 7/9/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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