शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

योनि कुत्ते की पाई [ नवगीत ]

 505/2025


   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कर्म- दंड का खेल

योनि कुत्ते की पाई।


अब क्या हो 

परिणाम आ गया

तन- मन में

सर्वांश छा गया

पड़े भोगना 

ही आजीवन

ऐसी करी कमाई।


करनी का

प्रतिकार न कोई

सोच -सोच

यों कुतिया रोई

ऐसा कोई

कर्म किया है

ऐसी अपनी खेती बोई।


भोग योनि

ये श्वान हमारी

जीना है

अपनी लाचारी

पछतावा

यों बार-बार है

किस्मत अपनी खोई।


शुभमस्तु !


05.09.2025●6.45आ०मा०

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