शनिवार, 6 सितंबर 2025

सीधे का मुँह कुत्ता चाटे [ नवगीत ]


513/2025


         

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


एक कहावत अति प्रसिद्ध है

सीधे का मुँह कुत्ता चाटे।


कहते बहुत सरलता

होती उचित नहीं

टेढ़ी अँगुली बिना न

घी भी सुलभ नहीं

कुछ तो टेढ़ा होना पड़ता

होगा हस्र बुरा

झेलोगे वरना घाटे पर घाटे।


कुत्ते की तो 

चाह चाटना ही होती

चटवाने की आदत 

भी क्या शुभ होती

भोला बनकर ठग ही जाना

घटता है वह 

जिसको भी कोई काटे।


कुछ तो सीख तुम्हें

कुत्ते से मिलती होगी

चटवाने में मुँह की भी

क्या हालत होगी

चाटुकार  तो

श्वान बना

जो भरे स्वाद के सर्राटे।


शुभमस्तु !


06.09.2025● 4.30 आ०मा०

                   ●●●

[5:00 am, 6/9/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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