शनिवार, 6 सितंबर 2025

सीमा रेखा खिंची हुई है! [ नवगीत ]

 515/2025


      


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सीमा रेखा 

खिंची हुई है 

यहाँ श्वान की।


हिंदू या इस्लाम 

धर्म में वर्जित कुत्ते

घर में पालन करता है

तू किसके बुत्ते

खिंची हुई तलवार

जजों के

विगत ब्यान की।


जब विरोध है

तो कोई तो कारण होगा

सोचे-समझे बिना न

लेखक बना दरोगा

जज को मत

सिखला बातें तू 

श्वान-ज्ञान की।


ब्रह्मा जी ने

सबके ही हित नियम बनाए

उस विधान से

गली-गली दर रहन सुझाए

स्वार्थ भरा

मानव समझे 

 कुछ श्वान-शान की।


शुभमस्तु !


06.09.2025● 5.15आ०मा०

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