रविवार, 7 सितंबर 2025

भाषक कूकर श्वान [ नवगीत ]

 535/2025


           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कुत्ता भले 

नहीं हो कुत्सा

भाषक कूकर श्वान।


सारमेव 

तुम गंडक भी हो

नहीं गुणों से हीन

कोई कहे कुचेला

तुमको

तुम हो घ्राण प्रवीन

भैरव देव

सवारी करते

साहस के उपमान।


पुरा भेड़िए के

शुभ वंशज

मिला मनुज का साथ

किया लाड़

जब इस मानव ने

जगी प्यार की चाड़

सदा जागते

कभी न रुकते

लगे नहीं अनुमान।


चुना एक ही 

मौसम तुमने

मानव से हो भिन्न

फिर भी खेद 

नहीं तुम मानो 

रहो न पल को खिन्न

किसे न भाती

भौंक तुम्हारी 

करते हो नित दान।


शुभमस्तु !


07.09.2025●11.45 आ०मा०

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