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डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
भालचंद्र विघ्नेश, विनती करता आपसे।
देवों में प्रथमेश, शुभम् पधारो गेह मम।।
नमन करूँ शत बार, एकदंत हेरंब को।
दर्शन का उपहार, वक्रतुंड विघ्नेश का।।
शिवगौरी सुत आप,लंबोदर गणपति सुमुख।
सकल 'शुभम्' के ताप,हे विघ्नेश नसाइए।।
विनती बारंबार, बुद्धिनाथ से बुद्धि की।
देना कृपा उदार, करता हूँ विघ्नेश जी।।
मूषक वाहन आप, दाता हो शुभ सिद्धि के।
मिटा सकल संताप,आओ प्रभु विघ्नेश जी।।
विघ्नों के विघ्नेश, प्रमुख गणाधिप आप हो।
गौरी मातु महेश, आज्ञाकारी पुत्र हो।।
धूम्रकेतु विघ्नेश,मिले विनायक की कृपा।
कहता जगत गणेश,शिवसुत गौरी सुत शुभम्।।
कपिल शुभम् शुभ नाम,धूम्रकेतु भगवान का।
सफल करें सब काम,विघ्न हरें विघ्नेश मम।।
नाम जपें सब भक्त,भालचंद्र भगवान का।
हम पद में अनुरक्त, घर आएँ विघ्नेश जी।।
करें आरती भक्त, वक्रतुंड भगवान की।
अघ न करें आसक्त, प्रभु विघ्नेश मिटाइए।।
विनती नमन हजार,'शुभम्' गजानन से करे।
भव से कर दें पार,प्रभु विघ्नेश सहाय हों।
शुभमस्तु !
28.08.2025●8.00आ०मा०
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