407/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
वे बड़े हैं
गलतियाँ करते न होंगे।
जन्म से
इतने बड़े शायद हुए वे
गोद से ही
खा रहे फल कंद मेवे
कर्म के इतने धनी
वे छल क्रिया करते न होंगे।
पुण्य ही इतने किए हैं
धन्य हैं वे
हेकड़ी से
आप ही अनुमन्य हैं वे
पाप की यों
मटकियाँ भरते न होंगे।
फूल झरते हैं सदा
सहस्रों मुखों से
आग से जलते नहीं
पर के सुखों से
पंक से मन रिक्त
फबतियाँ कसते न होंगे।
शुभमस्तु !
07.08.2025●8.45आ०मा०
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[1:54 pm, 7/8/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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