रविवार, 24 अगस्त 2025

सींग भिड़ंता [ अतुकांतिका ]


456/2025


               


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बस दीवाल होनी चाहिए

उनका उद्देश्य पूरा हुआ

उन्हें सब जगह

सींग मारने की जो आदत है!

यह उनकी विशेष हॉबी है ।


उनके सींग 

उनके विशेष हथियार हैं,

वे समझते हैं कि

वे कृष्ण के अवतार हैं,

जबकि असलियत ये है

कि ये उनके मन का बुखार है।


उन्हें अपने सींग की नहीं है

कोई चिंता

उनका उद्देश्य है

फटे में अड़ाना अपनी टाँग

और करना भी फजीता,

वे अक्सर इसी अवसर की

तलाश में रहा करते हैं

जहाँ मिली

 कोई कच्ची पक्की दीवार

सींगों से सलाम करते हैं।


कोई कहता है कि

यह उनका जातीय संस्कार है

और कोई मानता है कि

आनुवंशिक चमत्कार है।



जो भी हो

वे दीवार में अक्सर 

सींग अड़ाया करते हैं,

कभी किसी को मारते हैं

कभी खुद मरते हैं,

पर वक्त आने पर

सींग अड़ाना बन्द 

नहीं करते हैं।


शुभमस्तु !


23.08.2025● 8.30 आ० मा०

                  ●●●

[9:00 am, 23/8/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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