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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
समस्या का हिस्सा
सामान्यतः कोई नहीं
बनना चाहता,
हर शख्स समस्या से
बचना ही चाहता।
यह कथन
हर व्यक्ति के लिए
सही नहीं है,
क्योंकि कुछ ऐसे भी हैं
जो दिमाग का
बना देते दही हैं।
यही करना तो
उनकी फितरत है,
सुलझे हुए को
और उलझाना
उनकी क़ुदरत है।
माँसभोजी को
मांसाहार ही
आनंद देता है,
समस्या के जनकों को
यही सब सुहाता है।
कोई अन्य देता है
यदि उचित समाधान
उलझाऊओं को
होना पड़ता है परेशान
क्योंकि यह
उनकी प्रकृति के
विपरीत है,
ऐसे में उनके दिल में
बैठ जाता अचल शीत है।
बिच्छू है
डंक दंशन स्वभाव है,
जहाँ नहीं हो
वहीं बनाना घाव है,
उनके हृदय में
बसा ही रहता
सदा दुर्भाव है।
शुभमस्तु !
23.08.2025● 9.00आ०मा०
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