रविवार, 3 अगस्त 2025

अच्छा रंग चढ़ा [ नवगीत ]

 388/2025

             

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पढ़े -लिखों पर जातिवाद का

अच्छा रंग चढ़ा।


काग काग की चाहत में ही

दुबला है दिन -रात

कोकिल से वह नहीं बोलता

करे न किंचित बात

कोकिल ने भी निज शावक का

सब दायित्व मढ़ा।


व्हाट्सएपीए ढूँढ़ - ढूँढ़ कर

लाते जाति सुजान

करते खूब प्रशंसा उनकी

वे हैं  मात्र महान

खून खून की ओर निहारे

इतना गहन गढ़ा।


इंटरव्यू में यही देखते

अपना कौन पराया

कठिन प्रश्न औरों से पूँछें

उनको खूब डराया

चयन जाति रँग देख किया है

नोटिस खूब पढ़ा।


शुभमस्तु !


02.08.2025●11.45आ०मा०

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