416/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
टेढ़ी-मेढ़ी
बल खाती - सी
सड़क पड़ी इठलाए।
पूँछें पथिक
कहाँ को जाती
सड़क जरा बतलाओ
जाना हमको
गाँव श्यामपुर
हमें नहीं भरमाओ
जाती नहीं
कहीं ये चलकर
सड़क मौन बतलाए।
चलते राही
रात -दिवस सब
अचल अटल ये रहती
सदा मौन ही
धारण करती
शब्द न एकल कहती
कहीं खड्ड हैं
इसमें गहरे
नागिन-सी लहराए।
कहीं किसानों ने
काटी है
ले जाने को पानी
करने को
सिंचन खेतों का
फसल उगेगी धानी
जो भी चले
सड़क पर देखो
आकर के पछताए।
शुभमस्तु !
09.08.2025● 1.00प०मा०
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