शनिवार, 9 अगस्त 2025

सड़क पड़ी इठलाए [नवगीत]

 416/2025


         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


टेढ़ी-मेढ़ी

बल खाती - सी

सड़क पड़ी इठलाए।


पूँछें पथिक

कहाँ को जाती

सड़क जरा बतलाओ

जाना हमको

गाँव श्यामपुर

हमें नहीं भरमाओ

जाती नहीं 

कहीं  ये चलकर

सड़क मौन बतलाए।


चलते राही

रात -दिवस सब

अचल अटल ये रहती

सदा मौन ही

धारण करती

शब्द न एकल कहती

कहीं खड्ड हैं 

इसमें गहरे

नागिन-सी लहराए।


कहीं किसानों ने

काटी है

ले जाने को पानी

करने को

सिंचन खेतों का

फसल उगेगी धानी

जो भी चले

 सड़क पर देखो

आकर के पछताए।


शुभमस्तु !


09.08.2025● 1.00प०मा०

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