बुधवार, 13 अगस्त 2025

नाक में दम कर रखा है [ नवगीत ]


 429/2025

         

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मौसमी 

इन मेंढकों ने

नाक में दम कर रखा है।


साँझ से

टर्रा रहे हैं

तालाब को सोने न देते

रात भर

सोते न पल भर

नींद में खोने न देते

भोर का 

जागा उजाला 

शोर तो कम कर रखा है।


एक मेढक

दूसरे की

कर रहा भारी प्रशंसा

मछलियों से

नेह है क्या

बदनीयती की है मंशा

टर्र पों- पों टें 

मची है

फोड़ने को बम रखा है।


गुजर जाए

ऋतु सुहानी

एक भी दिखना नहीं है

नाक 

माटी में घुसाएं

ढूँढ़ना मेढक कहीं है ?

क्वार आते ही

सभी ने

टर्र को सम पर रखा है।


शुभमस्तु !


13.08.2025●9.30 आ०मा०

                   ●●●

[10:31 am, 13/8/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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