शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

बलिदान [सोरठा]

 433/2025


           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


हुआ    देश   आजाद,  वीरों  के बलिदान   से।

करते   हैं   हम  याद, सदा  सजल सम्मान  से।।

दुखद न हो परिणाम,कभी त्याग बलिदान  का।

अमर   उन्हीं के   नाम,  करते हैं जो देश   हित।।


बनकर     पहरेदार,  सीमा  पर सैनिक   डटे।

अरि पर करें प्रहार,हिचक नहीं बलिदान से।।

पीड़ित   धीर   जवान, महा  भयंकर  शीत से।

कहता   देश   महान, उनके ही बलिदान  से।।


पत्नी   भी   माँ -बाप,  सैनिक की संतान  हैं।

झेल   रहे   नित   ताप,डरें  नहीं बलिदान से।।

नमन  आरती  आप,  आओ वीरों की   करें।।

नहीं त्याग की   माप, करते  हैं बलिदान जो।।


पाल  रहे  संतान,  अपना सुख बलिदान  कर।

कर उनका गुणगान,धन्य -धन्य जननी-जनक।।

करता सुख बलिदान,छात्र पढ़े जब पाठ को।

मिलता सुख सम्मान,वही चमकता भानु -सा।।


करता जो बलिदान, मूल्य नहीं घटता कभी।

पीढ़ी बने महान, उसी  सरणि  के पंथ   पर।।

है   अमूल्य बलिदान,जीवन  के हर   क्षेत्र  में।

कोई  मनुज  सुजान,चुकता करे न मूल्य को।।


गाएँ   गाथा   आज,आओ हम बलिदान  की।

सफल हुए सब काज,किए महातप त्याग जो।।


शुभमस्तु !


14.08.2025●9.45 आ०मा०

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