गुरुवार, 7 अगस्त 2025

बज रहा है रोज बाजा [ नवगीत ]

 406/2025

 

   


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


उम्र का है

ये तकाज़ा

बज रहा है रोज बाजा।


चाय मीठी

मत इसे पी

खा कसैला

कष्ट में जी

मत समझ

अब भी है राजा।


बेसुरा बजता

कभी ये

राग से सजता

कभी ये

तू बना रह

नित्य ताजा।


खा करेला

और जामुन

आलुओं-सा

मत अरे भुन

पी न ठंडा

पेय माजा।


चरण चौथा

चाल धीमी

डाँटती है

रोज बीवी

खा न लड्डू

गज़क खाजा।


शुभमस्तु !


07.08.2025● 8.15आ०मा०

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