398/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
गाँव में ठेका खुला है
क्या न होगा
राम जाने।
बीबियाँ घुसने
न देंगीं
अब घरों में
गिनतियाँ
उनकी करेंगीं
अब मरों में
हाथ पीले
बेटियों के
होंगे कैसे
राम जाने।
खेतियाँ
बिक जांयेंगीं
सब भैंस गायें
तरस जाएँ
दूध को
ये गज़ब ढायें
चोरियाँ
डाके बढ़ेंगे
राम जाने।
सीख जाएँ
दुधमुँहे
कैसा है ठर्रा
बोतलें
घर में सजेंगीं
रोजमर्रा
होगी फ़जीयत
गाँव में ये
राम जाने।
शुभमस्तु !
04.08.2025●4.00प०मा०
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