मंगलवार, 5 अगस्त 2025

राम जाने [ नवगीत ]

 398/2025

  

             


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गाँव में ठेका खुला है

क्या न होगा 

राम जाने।


बीबियाँ घुसने 

न देंगीं 

अब घरों में

गिनतियाँ 

उनकी करेंगीं

अब मरों में

हाथ पीले

बेटियों के

होंगे कैसे

राम जाने।


खेतियाँ 

बिक जांयेंगीं

सब भैंस गायें

तरस जाएँ

दूध को

ये गज़ब ढायें

चोरियाँ 

डाके बढ़ेंगे

राम जाने।


सीख जाएँ

दुधमुँहे

कैसा है ठर्रा

बोतलें

घर में सजेंगीं

रोजमर्रा

होगी फ़जीयत

गाँव में ये

राम जाने।


शुभमस्तु !


04.08.2025●4.00प०मा०

                  ●●●

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...