462/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
भटकाव के लिए
अनेक पगडंडियाँ हैं
रास्ते हैं
कच्ची- पक्की
सड़कें भी हैं,
पाने के लिए
किन्तु मंजिल अपनी
पर्याप्त है
एक संकल्प
जो अडिग हो।
करोगे यात्रा तो
बहुत से मिलेंगे
राहगीर तुम्हें,
सभी सलाह देंगे
रास्ते बताएंगे।
भटक नहीं जाना है
उन पगडंडियों पर
अपना लक्ष्य ही
आँख चिड़िया की।
आएंगे प्रलोभन
चमकते दमकते
तेरी राहों में
पर भटक मत जाना
कहीं किसी
कामिनी की बाँहों में।
पाई है उन्होंने
मंजिल अपनी
जो अटके नहीं
न भटके न रुके
न थके
चला चल
अपने पथ पर
लेश रपटा
कि नीचे गिरे!
शुभमस्तु !
24.08.2025●8.00आ०मा०
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[8:16 am, 24/8/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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