गुरुवार, 7 अगस्त 2025

क्या करेगा वहाँ जाकर भी रवि? [ नवगीत ]

 410/2025




©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


भेजा था कहाँ

कहाँ पहुँच गया कवि

क्या करेगा 

वहाँ जाकर भी रवि?


कुरेदता है मगज़

बदली है धज

खंड - खंड छंद है

भाव का अभाव

उलटा पड़ा दाब

बंद अरविंद है

बिगड़ गई

कविताकार की छवि।


जोड़ -तोड़ के समांत

छिन्न -भिन्न हैं पदांत

करते ग़ज़ल की नकल

कोई गीतिका कहे

हिंदी ग़ज़ल भी कहे

नया नाम है सजल

सींग कटवाएं आप

नई दे रहे माप

तवा हो गया तवि।


घायल  हुए भाव

भंग   छंद - नाव

इतिहास जो बने

देख- देख नए ख़्वाब

आया कवियों को ताव

देखो कितने वे तने !

'शुभम्' मान जाएँ आप

और  करें   नहीं    पाप

मत छोड़ें और हवि।


शुभमस्तु !


07.08.2025●1.15 प० मा०

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