सोमवार, 1 सितंबर 2025

कुत्तों के अधिकार [ नवगीत ]

 486/2025


       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कुत्तों के

अधिकारों का

अब हनन न होगा।


भले रात भर

भोंकें कुत्ते

नहीं रोकना

भले कार पर

करें विसर्जन

नहीं टोकना

मारे बहुत

ईंट पत्थर भी

उसने भोगा।


बिना वसन के

घूम रहे तो

क्या आफ़त है

मत असभ्य

उनको कह देना

क्या शामत है?

अगर शर्म हो

मानव तुझको

पहना चोगा।


सेठ अमीरों की

कोठी में 

पलते कुत्ते

पाल रहे हैं

ललनाओं को

अपने बुत्ते

देखो कमर

वक्र करके

वे करते योगा।


शुभमस्तु !


01.09.2025●2.00प०मा०

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