484/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
प्रथम पूज्य
हे देव गजानन
युगल चरण में वंदन है।
हे विघ्नेश्वर
विघ्न हरो मम
हे कवीश द्वैमातुर आप
दूर करें
संकट एकाक्षर
सिद्धिदान कर मेटें ताप
मंगलमूर्ति
अखूरथ भूपति
बुद्धिनाथ अभिनंदन है।
भालचंद्र
हे कपिल सुमुख तुम
हे हेरंब गदाधर धीर
मात -पिता के
आज्ञाकारी
एकदंत प्रभु प्रमुख प्रवीर
सदा शुभम हो
मम जीवन में
महकें जैसे चंदन है।
मोदकप्रिय
हे विकट गजानन
ईश गणाधिप शिवनंदन
गौरीसुत की
नित्य कृपा हो
अघ ओघों का कर खंडन
शूर्पकर्ण
गजवक्र महाबल
चले तुम्हारा स्यंदन है।
शुभमस्तु !
01.09.2025●11.00 आ०मा०
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