492/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मैं गलियों का
राजा कुत्ता
जंजीरों में तू जकड़ा है।
जहाँ चाहता
मैं फिरता हूँ
नहीं किसी से
मैं डरता हूँ
मैं स्वतंत्र
तू बंधन में है
बंद जेल में पकड़ा है।
तू गुलाम
अपने मालिक का
पट्टा लगा
किसी पालक का
बैठा - ऐंठा
चिकने तल पर
काहे को तू अकड़ा है।
पहरेदार
गली भर का मैं
तू बोलेगा
इतने में टें
भूल न जाना
यहाँ न कोई
किसी बात का रगड़ा है।
शुभमस्तु !
03.09.2025● 3.00प०मा०
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