498/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बेजुबान
हमको कहता है।
है ज़ुबान
अपने भी मुख में
कहते फोड़ें कान
भौंक-भौंक कर
रात-रात भर
करते हैं ध्वनि-दान
फिर भी
मूक बताएँ हमको
कौन भला इतना सहता है!
नहीं जानता
भाषा अपनी
अलग -अलग संकेत
जासूसी
हमसे करवाता
मानव का कुछ हेत
जाते जब
यमराज शून्य में
अलग राग अपना बहता है।
मानव खोले
बड़ा मदरसा
जिसमें सीखे पाठ
कुत्तों की भाषा
क्या कहती
पढ़े बाँधकर ठाठ
हमको
शिक्षक बना सीख ले
टेक अँगूठा
क्यों रहता है ?
शुभमस्तु !
04.09.2025●10.00आ०मा०
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[11:06 am, 4/9/2025] DR BHAGWAT SWAROOP:
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